Arthritis -आर्थराइटिस या
गठिया
आर्थराइटिस या
गठिया जिसे संधिशोथ कहते हैं, इसका शाब्दिक अर्थ है जोड़ो की सूजन। बुढ़ापे की बीमारी
कहा जाने वाला आर्थराइटिस अब जवानी में ही लोगों को परेशान करने लगाहै।आर्थराइटिस के
मरीजों में बीस फीसदी लोग तीस साल तक की उम्र के होते हैं। आज की बदलती जीवन शैली में मोटापा, गलत खानपान आदि वजहों से ये दिखाई
देता है।बहुत लोग समय–समय पर अपने बदन में दर्द और अकडन महसूस करते हैं । कभी–कभी उनके हाथों, कंधों और घुटनों में भी सूजन और दर्द रहता
है तथा उन्हें हाथ हिलाने में भी तकलीफ होती है।
Types of Arthritis -आर्थराइटिस
कितने प्रकार की होती है?
आर्थराइटिस कई प्रकार की होती हैं,आर्थराइटिस निम्नलिखित प्रकार :
- Ankylosing Spondylitis - एनोइलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस:
यह गठिया जो रीढ़ को
प्रभावित करती है। इसमें अक्सर लाली, गर्मी, सूजन और रीढ़ की हड्डी के जोड़ों का जाम होना, अकड़न एवं दर्द शामिल है
·Gout -गाउट: यह गठिया यूरिक एसिड क्रिस्टल के कारण होता है जिसका जोड़ों में निर्माण होता है। यह मुख्यता पैर
के अंगूठे और बड़े जॉइंट को प्रभावित करता है, लेकिन कई बार अन्य जोड़ भी प्रभावित
होते हैं।
·Juvenile Arthritis -किशोर संधिशोथ: यह बच्चों में
गठिया का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया शब्द है। गठिया जोड़ों की सूजन के कारण
होता है
·Osteoarthritis -ऑस्टियोआर्थराइटिस: जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग
(cartilage breaks) हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ खातीं हैं,
इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है। सबसे सामान्य तरह का गठिया हड्डी का
गठिया (osteoarthritis) कहलाता है।आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होता है और अक्सर
उंगलियों, घुटनों, और कूल्हों को प्रभावित करता है। कभी-कभी ऑस्टियोआर्थराइटिस
जोड़ों में चोट की भी वजह से होती है उदाहरण के लिए, युवा होने पर अपने घुटने को
बुरी तरह से घायल होने के कारण कई वर्षों बाद में घुटनों में गठिया विकसित कर सकते
हैं।
·Rheumatoid arthritis - रयूमेटायड
गठिया: यह संधिसोथ तब
होता है जब शरीर की अपनी रक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं करती। जब प्रतिरोधक
क्षमता (immune system) प्रणाली, जो आमतौर से शरीर को संक्रमण से बचाती है, शरीर के
ऊतकों पर वार कर देती है। इस प्रकार की गठिया में रियुमेटॉयड आर्थराइटिस
(Rheumatoid arthritis) कहलाती है। यह जोड़ों और हड्डियों (अक्सर हाथों और
पैरों के) को प्रभावित करता है, और आंतरिक अंगों और प्रणालियों को भी प्रभावित कर
सकता है। आप बीमार या थका हुआ महसूस कर सकते हैं, और आपको बुखार हो सकता है।
·Psoriatic
Arthritis -सोराइटिक संधिशोथ: सोराइटिक गठिया जिन लोगों को
सोराईसिस नामक बीमारी ( त्वचा में लाल और सफेद
पैच) होती है। यह त्वचा, जोड़ों और उन क्षेत्रों को प्रभावित करता है जहां ऊतक
हड्डी से जुड़ते हैं।
·Reactive Arthritis -रिएक्टिव गठिया: आपके शरीर में संक्रमण के कारण
एक जोड़ में दर्द या सूजन हो सकती है। इससे आपकी आँखें लाल या सूजी हुई हो सकती
हैं और मूत्र पथ में भी सूजन हो सकती है।
·Lupus -लूपस: यह आर्थराइटिस तब होता है जब शरीर की रक्षा प्रणाली जोड़ों, हृदय, त्वचा, गुर्दे और अन्य अंगों को हानि पहुँचाती है।
·Infection -संक्रमण: जब कोई
इन्फेक्शन हड्डियों के जोड़ों के बीच के कुसन को ख़राब कर देता है।
Symptoms of Arthritis -आर्थराइटिस के क्या लक्षण हैं?
·
जोड़ों में दर्द, लालिमा, गर्मी और सूजन
·
घूमने टहलने में दिक्कत
·
वजन घटना
·
साँस की परेशानी
·
दाने या खुजली
Diagnosis -ऐसे लगाएं अर्थराइटिस का पता
· एक्स रे (X-Ray)
·
रयूमेटायड फ़ैक्टर (RAF)
·
सी रिएक्टिव प्रोटीन (CRP)
·
एंटीस्ट्रेप्टोमाइसिन ओ टेस्ट (ASO)
·
यूरिक एसिड (Uric Acid)
·
साइनोवियल फ्लूड एनालिसिस (SF Analysis)
Treatment of
Arthritis -अर्थराइटिस का इलाज
मेडिकल साइंस में हुई चमत्कारिक प्रगति के कारण मौजूदा दौर मेंअर्थराइटिस सरीखी
बीमारी लाइलाज नहीं रही अब इस बीमारी का समुचित इलाज कराते हुए पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकते हैं। आर्थराइटस
के इलाज में होम्योपैथिक चिकित्सा एक लोकप्रिय इलाजहै।इसपद्धतिमें आर्थराइटस का इलाज
सेफ एवं साइड इफेक्ट रहित और कारगर है। होम्योपैथिक
इलाज में आर्थराइटस की हालत और लक्षणों को देख कर उचित औषधि का चयन किया जाताहै। आर्थराइटस
का इलाज होमियोपैथी से करने पर जॉइंट की सर्जरी को बचाया जा सकता है।
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